White एक पत्थर और मारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, या को | हिंदी कविता

"White एक पत्थर और मारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, या कोई ख़ंजर निकालो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, है बदन छलनी मगर इन हौसलों में जान है, जाओ दुश्मन को बता दो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, मुस्कुराओ अपनी नज़रों से मुझे छू लो ज़रा, अश्क़ अपने मत बहाओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, मैं तुम्हे जज़्बात की ख़ुशबू से भर दूंगा अभी, क्यों तरसती हो निगाहो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, मर गया उनके लिये जो नफ़रतों की ज़द में हैं तुम मुहब्बत से पुकारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, जा के कह देना मेरी अम्मा से के मैं ठीक हूँ ऐ मेरी माँ की दुआओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं । ©sapna"

 White एक पत्थर और मारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं,
या कोई ख़ंजर निकालो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं,
है बदन छलनी मगर इन हौसलों में जान है,
जाओ दुश्मन को बता दो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं,
मुस्कुराओ अपनी नज़रों से मुझे छू लो ज़रा,
अश्क़ अपने मत बहाओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं,
मैं तुम्हे जज़्बात की ख़ुशबू से भर दूंगा अभी,
क्यों तरसती हो निगाहो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं,
मर गया उनके लिये जो नफ़रतों की ज़द में हैं
तुम मुहब्बत से पुकारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं,
जा के कह देना मेरी अम्मा से के मैं ठीक हूँ
ऐ मेरी माँ की दुआओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।

©sapna

White एक पत्थर और मारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, या कोई ख़ंजर निकालो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, है बदन छलनी मगर इन हौसलों में जान है, जाओ दुश्मन को बता दो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, मुस्कुराओ अपनी नज़रों से मुझे छू लो ज़रा, अश्क़ अपने मत बहाओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, मैं तुम्हे जज़्बात की ख़ुशबू से भर दूंगा अभी, क्यों तरसती हो निगाहो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, मर गया उनके लिये जो नफ़रतों की ज़द में हैं तुम मुहब्बत से पुकारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं, जा के कह देना मेरी अम्मा से के मैं ठीक हूँ ऐ मेरी माँ की दुआओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं । ©sapna

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