हीरो खदानों में मिलतें हैं मैदानों में नहीं
मा बाप जन्म से मिलतें हैं आजमाने से नहीं
रिश्ते तो निभाने से निभाते हैं ठुकराने से नहीं
इज्जत कमाने से मिलतीं है बाजारो से नहीं
जख्म अपनों से ही मिलतें हैं गैरो से नहीं
शहादत तो जंग में मिलतीं है शमशान में नहीं
मंजिल तो ढूंढने से मिलतीं है रास्ते से नहीं
शिक्षा सीखने से मिलती है स्कूलों से नहीं
शर्म तो आंखों में होते हैं दिखावे में नहीं
☆jally singh
☆jally singh