बदनसीबों के नसीब में टूटे ख्वाबो के सिवाए कुछ नहीं | हिंदी कविता

"बदनसीबों के नसीब में टूटे ख्वाबो के सिवाए कुछ नहीं होता। वो बस सपने बुनते ह अजीब से, क्योंकिं उनका नसीब तो बस सोता । काश कोई सुने उन्हें, काश कोई उनके ख्वाबो को साकार करे, ताकि फिर जब वो सपने बुने, तो वे सपने देखे बिना विचार कर।"

 बदनसीबों के नसीब में टूटे ख्वाबो के सिवाए कुछ नहीं होता।
वो बस सपने बुनते ह अजीब से, 
क्योंकिं उनका नसीब तो बस सोता । 

काश कोई सुने उन्हें, 
काश कोई उनके ख्वाबो को साकार करे, 
ताकि फिर जब वो सपने बुने, 
तो वे सपने देखे बिना विचार कर।

बदनसीबों के नसीब में टूटे ख्वाबो के सिवाए कुछ नहीं होता। वो बस सपने बुनते ह अजीब से, क्योंकिं उनका नसीब तो बस सोता । काश कोई सुने उन्हें, काश कोई उनके ख्वाबो को साकार करे, ताकि फिर जब वो सपने बुने, तो वे सपने देखे बिना विचार कर।

काश।

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