मेरे दोस्त भक्त तो हाथ में घड़ी आंखों पर चश्मा पहन कर खुद को प्रधानमंत्री का सलाहकार समझते हैं
कुछ तो खेतों में घुसे सांडो को अपना बाप समझते हैं और रोमियो की मोहब्बत को पाप समझते हैं
महंगी होती शिक्षा, धर्म की जंजीर से बने जाति के फंदे यह सब सियासी ध्रुवीकरण है
जान कुछ तो गरीब मजदूर मुफ्त का राशन पाकर ही अपना विकास समझते हैं
©कवि- जीतू जान
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