Unsplash कौन नहीं मज़बूर यहां" चाहत और रिश्तों के | हिंदी शायरी

"Unsplash कौन नहीं मज़बूर यहां" चाहत और रिश्तों के होते कुछ ऐसे बंधन, गला घोट के अरमानों का तड़पती हृदय स्पंदन। बड़ी शर्म की मर्यादा का चलता है दस्तूर जहां, प्यास अधूरी अंखियों की कौन नहीं मज़बूर यहां। ©Anuj Ray"

 Unsplash कौन नहीं मज़बूर यहां"

चाहत और रिश्तों के होते कुछ ऐसे बंधन,
गला घोट के अरमानों का तड़पती हृदय स्पंदन।

बड़ी शर्म की मर्यादा का चलता है दस्तूर जहां, 
प्यास अधूरी अंखियों की कौन नहीं मज़बूर यहां।

©Anuj Ray

Unsplash कौन नहीं मज़बूर यहां" चाहत और रिश्तों के होते कुछ ऐसे बंधन, गला घोट के अरमानों का तड़पती हृदय स्पंदन। बड़ी शर्म की मर्यादा का चलता है दस्तूर जहां, प्यास अधूरी अंखियों की कौन नहीं मज़बूर यहां। ©Anuj Ray

# कौन नहीं मज़बूर यहां"

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