White एहसास-ए-बे-तलब जब भी मेरे दिल को महसूस होता है,
मेरा किस्सा-ए-ग़म कलम से तब कागज़ पर उतरता है ।
उसकी यादों के जंगल से जब खुद को बचाये फिरता हूँ,
उसकी सूरत सा इक साया तब भी मेरा पीछा करता है ।
मेरे सैल-ए-अश्क़ से जब लब-ए-दरिया टूटने लगता है,
ये आब-ए-दरिया तब बारिश की मानिंद बरसता है ।
ख्वाबों में उसके आने की शमा हरदम जलाए रखता हूँ,
ख्वाबों से दूर हक़ीक़त में मेरा जिस्म पिघलता रहता है ।
सदा शब-ए-हिज्राँ में भी अपनी दुआओं में उसको रखता हूँ,
फ़लक़ के चाँद से अमवाज-ए-सागर का रिश्ता तो रहता है ।
©Sameer Kaul 'Sagar'
#Moon