पहाड़ की पीड़ा चौबीस साल का उत्तराखंड कुछ इस तरह | हिंदी Shayari

"पहाड़ की पीड़ा चौबीस साल का उत्तराखंड कुछ इस तरह से बीत गया ! सत्ता की दौड़ में कभी कमल तो कभी हाथ जीत गया !! महफूज थे जो खेत खलियान उन सब को बंजर कर गया ! पुश्तैनी मकानों की नींव को पलायन से जर्जर कर गया !! पहाड़ों की रौनक और खुशियां गांव को सुनसान कर गया ! विकास भी पहाड़ों में आने से धरातल पर सचमुच डर गया !!! राज्य बनाया जिस मकसद से वह सपने में ही रह गया! विकास की दौड़ में पहाड़ों में पलायन बेचारा जीत गया !! -ख्याली_जोशी 🥀🥀 ©HUMANITY INSIDE"

 पहाड़ की पीड़ा

चौबीस साल का उत्तराखंड कुछ इस तरह से बीत गया ! 
सत्ता की दौड़ में कभी कमल तो कभी हाथ जीत गया !!

महफूज थे जो खेत खलियान उन सब को बंजर कर गया ! पुश्तैनी मकानों की नींव को पलायन से जर्जर कर गया  !!

पहाड़ों की रौनक और खुशियां गांव को सुनसान कर गया ! विकास भी पहाड़ों में आने से धरातल पर सचमुच डर गया !!!

राज्य बनाया जिस मकसद से वह सपने में ही रह गया!
 विकास की दौड़ में पहाड़ों में पलायन बेचारा जीत गया !!

                                           -ख्याली_जोशी 🥀🥀

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पहाड़ की पीड़ा चौबीस साल का उत्तराखंड कुछ इस तरह से बीत गया ! सत्ता की दौड़ में कभी कमल तो कभी हाथ जीत गया !! महफूज थे जो खेत खलियान उन सब को बंजर कर गया ! पुश्तैनी मकानों की नींव को पलायन से जर्जर कर गया !! पहाड़ों की रौनक और खुशियां गांव को सुनसान कर गया ! विकास भी पहाड़ों में आने से धरातल पर सचमुच डर गया !!! राज्य बनाया जिस मकसद से वह सपने में ही रह गया! विकास की दौड़ में पहाड़ों में पलायन बेचारा जीत गया !! -ख्याली_जोशी 🥀🥀 ©HUMANITY INSIDE

#hills

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