White कहने को तों ये आज़ादी हैँ लेकिन मुंह से निक | हिंदी कविता

"White कहने को तों ये आज़ादी हैँ लेकिन मुंह से निकले हर अख़फ़ाज़ पर पहरा हैँ किसको अपने मन की बात कहें यहां सुनता कौन हैँ? यहां तों कुर्सी पर बैठा हर हाकीम बहरा हैँ ©Parasram Arora"

 White कहने को तों ये आज़ादी  हैँ 
लेकिन मुंह से निकले हर अख़फ़ाज़ पर पहरा हैँ

किसको अपने मन की बात कहें यहां सुनता कौन हैँ?
यहां तों कुर्सी पर बैठा हर हाकीम बहरा हैँ

©Parasram Arora

White कहने को तों ये आज़ादी हैँ लेकिन मुंह से निकले हर अख़फ़ाज़ पर पहरा हैँ किसको अपने मन की बात कहें यहां सुनता कौन हैँ? यहां तों कुर्सी पर बैठा हर हाकीम बहरा हैँ ©Parasram Arora

कहने को.....

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