कितना मासूम था बचपन सुंदर होता था सबका मन। | हिंदी कविता Video

"कितना मासूम था बचपन सुंदर होता था सबका मन। न कोई चिंता, न किसी बात का डर, कभी इस डगर, चले कभी उस डगर। मत सम्प्रदाय,जात पात इन सबसे थे तब अज्ञात। किसी की दाल, किसी की रोटी कोई पंजा लड़ाए,कोई खींचे चोटी। बचपन सा रहता सदा काश स्वभाव बना रहता जीवन में शांति व सदभाव। ©Kamlesh Kandpal "

कितना मासूम था बचपन सुंदर होता था सबका मन। न कोई चिंता, न किसी बात का डर, कभी इस डगर, चले कभी उस डगर। मत सम्प्रदाय,जात पात इन सबसे थे तब अज्ञात। किसी की दाल, किसी की रोटी कोई पंजा लड़ाए,कोई खींचे चोटी। बचपन सा रहता सदा काश स्वभाव बना रहता जीवन में शांति व सदभाव। ©Kamlesh Kandpal

#bachpan

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