इक शांत बूंद सी गिर गई मैं।
उड़ना चाह पर बह गई मैं।।
नदी, समन्दर या फिर ताल।
ना जाने किस में भर गई मैं।।
बूंद ही है क्या कर लेगी।
कितनो की प्यास बुझाएगी।।
जिसे आसमान ने छोड़ दिया।
उसे धरती क्यों अपनाएगी।।
इतने सपने इतने अरमान।
लिए दिल में मैं सुख गई।।
सोचा था जी भर जी लूंगी।
जीना चाहा पर मर गई मैं।।
💔
©BebySai
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