मुस्कुराने के साथ आंसुओं का हिसाब रखो
लाख सूरज हों आस पास एक मेहताब रखो।
रात भर जागता हो चांद मगर
उसके ख्वाबों में आने का ख़्वाब रखो।
कहतें हैं लोग किनारे मिलते नहीं
कभी पानी के साथ शराब रखो।
ये कैसा इश्क है रोज़ मिलते हो
यार कुछ तो इजतराब रखो।
बड़ा मुश्किल है तेरी आंखों से बचना
बदन पे ना सही चेहरे पे हिज़ाब रखो।
©Ashish Jha
#Love