उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने | हिंदी कविता

"उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए। खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू, जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए। आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए, जो कभी नहीं कहा, वही सच्चाई अब उजागर हो जाए। ©नवनीत ठाकुर"

 उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए,
हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए।

खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू,
जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए।

आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए,
जो कभी नहीं कहा, वही सच्चाई अब उजागर हो जाए।

©नवनीत ठाकुर

उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए। खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू, जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए। आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए, जो कभी नहीं कहा, वही सच्चाई अब उजागर हो जाए। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए,
हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए।

खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू,
जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए।

आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए,

People who shared love close

More like this

Trending Topic