White दिन का कोई हिस्सा ना निकला
जब तेरी याद ना आयी।
देखो रात की तन्हाई भी तुम को अपने
आस पास पायी।।
हमारा किस तरह वस्ता तुम से
तुम किस तरह हमारे पास आयी।
फिर भी आंखें रखी खिड़कियों पर तुम्हारी
ना एक पल को हटायी।।
और आज हम आखिर निकल ही पड़े
लोगों की भीड़ में।
सुकून वहां भी ना मिला
हर शक्स ने तेरी सूरत पायी।
क्यूं इस तरह की किस्मत हमारी
लक़ीरों में लिख आयी।
दोष किसका दें सारा
क्यूं तुम हमें मिली पर हमें मिल ना पायी ।।
©Alok krishya
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