तू तो बड़ा होके डॉक्टर ही बनेगा , एक ५ महीने के बच्चे को ये कहा जाता है जिसे अभी तक पलक झपकाने और रोने के अलावा बात करने का कोई ज़रिया तक नहीं पता ये तो कुछ भी नही जब वो विद्यालय जाने लगता है तब से लेकर जब तक वो पढ़ाई पूरी भी नही करता तब तक भी रोज़ पिताजी को उसे आने वाले कल में डॉक्टर तो माताजी को पुलिस के रूप में देखना है जिन लोगो ने बचपन में उसे बच्चा तक रहने नहीं दिया उससे उसकी किशोरावस्था के वो सभी पल छीनकर उसपे सिर्फ भविष्य में डॉक्टर और पुलिस बनने के अरमानों का बोझ डाल कर उसको एक कूली बना दिया , वो कूली जो बिना पगार के अपना काम करता रहता है उस एक निश्चित जीवनकाल में और जब वो आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरता तो समाज उसे शादी और गृहस्थ के बोझ तले दबा देता है शायद इससे वो जिम्मेदार बन जाए, अरे उसको कुछ बनाना छोड़ो अगर कुछ बनना ही है तो खुद थोड़ा गैरजिम्मेदार बनो और दुसरो को जिंदगी का जिम्मा लेना छोड़ो।
एक बच्चा जिसने न अपना बचपन जिया ना जवानी वो इन सब बोझ तले दबके जैसे तैसे कुछ बेमन का काम करता है ताकि आगे चलके वो भी किसी शिशु किसी बालक या किसी किशोर को खुद की पहचान दबाकर भविष्य का डॉक्टर, इंजीनियर, या कोई और बड़ा आदमी बनने के जुनून से भरे दिखावे की पहचान लेकर जीने के बोझ तले दबा सके।
बोझ वो जो पीढ़ी दर पीढ़ी तुमने , मैंने, हम सबने किसी न किसी तरीक़े से ढोया है
अफसोस कल वो जो कभी किसीका सगा नही हुआ।
©nammu
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