जीवन का सच जीवन जीना इस तरह है दुश्मन भी दे दाद।।
एक भरोसा राम का ,फिर काहे दूरवाद।।
मैंने कहा जो राग है, सब दूरगुण की खान।।
नम नयन औराम करे,खुद करे अभिमान ।।
दर्पण दोष तनिक नहीं, झांको तो एक बार।।
संत कृपा अद्भुत सदा, परम सम उदार।।
जीवन सबका नीर है, समीर प्राण प्रवाह।।
सोच समझ खर्चा करो, करना नहीं निर्वाह।।
पचपन में बचपन रहे, साहस सहित विवेक।।
जिसके मुख में मक्खन रहे, उसके मीत अनेक।।
©ashish gupta
जीवन जीना इस तरह है दुश्मन भी दे दाद।।
एक भरोसा राम का ,फिर काहे दूरवाद।।
मैंने कहा जो राग है, सब दूरगुण की खान।।
नम नयन औराम करे,खुद करे अभिमान ।।
दर्पण दोष तनिक नहीं, झांको तो एक बार।।
संत कृपा अद्भुत सदा, परम सम उदार।।
जीवन सबका नीर है, समीर प्राण प्रवाह।।
सोच समझ खर्चा करो, करना नहीं निर्वाह।।