माया रचे प्रपंच हर घड़ी। हरि बिना न कोई पार पाये। | हिंदी विचार

"माया रचे प्रपंच हर घड़ी। हरि बिना न कोई पार पाये। विश्वामित्र परम सिद्ध होकर भी माया में मति हराये। ©Narendra kumar"

 माया रचे प्रपंच हर घड़ी।
हरि बिना न कोई पार पाये। 
विश्वामित्र परम सिद्ध होकर भी 
माया में मति हराये।

©Narendra kumar

माया रचे प्रपंच हर घड़ी। हरि बिना न कोई पार पाये। विश्वामित्र परम सिद्ध होकर भी माया में मति हराये। ©Narendra kumar

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