green-leaves सुनो मुझे तुम से पूछना है की....
तुमने बीज़ रूपी अधूरे
नज़्मों की जो फ़सल अपने
मन के काग़ज़ पर बोई हैं....
क्या मुझे मेरी परवाह के पानी,
भरोसे की खाद और चाहतों की
रौशनी से सींच कर हरी—भरी
पूरी ग़ज़ल बनाने का हक़ दोगे क्या?
©Chanchal Chaturvedi
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