मनोज की कलम से: समंदर की कहानी क्या नदी के दौर का | हिंदी शायरी
"मनोज की कलम से:
समंदर की कहानी क्या
नदी के दौर का मौसम
अमीरी को सलामी क्या
अभी है आम का मौसम
...
पकड़ के हाथ बिठलालें
कहाँ क़िस्मत अभी मेरी
अभी है दौड़ की कोशिश
अभी है इश्क़ का मौसम
...
आम=आम आदमी
..."
मनोज की कलम से:
समंदर की कहानी क्या
नदी के दौर का मौसम
अमीरी को सलामी क्या
अभी है आम का मौसम
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पकड़ के हाथ बिठलालें
कहाँ क़िस्मत अभी मेरी
अभी है दौड़ की कोशिश
अभी है इश्क़ का मौसम
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आम=आम आदमी
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