तुम क्या जानो ......
कभी कभी घुटन सी लगती है तेरा प्यार
यूं हर बात पे जवाब ना देना और बंदिशे हजार।
मैं स्वच्छंद हूं स्वतंत्र हूं
इस देश का गणतंत्र हूं
ये जिंदगी हैं मेरी और
स्वय इसका तंत्र हूं!
अब अपने स्वार्थ से जुड़े।
कुछ मागने को यूं खड़े
जो था सब लूटा दिया
अस्काम को मिटा दिया।
अब जीना चाहती हूं हर एक किरदार
घुटन सी लगती है कसमें वादों में यार।।
अब घुटन सी लगती है यार ......
©Devvarsha Chaurasia
घुटन