White तरस गया है दिल अब उन मुलाकातों को,
जहां हंसी की फुहारें थीं, बिना बातों को।
वो शामें जो ढलती थीं मुस्कान के संग,
अब वीरानी में ढूंढते हैं हम उन रंगों को।
तरस गया है दिल अब उस चाँदनी रात को,
जहां चाँदनी भी गाती थी अपने जज़्बात को।
वो लम्हे जो बिखरे थे खुशबू की तरह,
अब समेट रहे हैं बस यादों की बारात को।
©Balwant Mehta
#GoodNight