चाँद और मुझमे नजर आती हैं कई समानतायें ¡ समय की ब | हिंदी कविता

" चाँद और मुझमे नजर आती हैं कई समानतायें ¡ समय की बेपरवाही दूसरों पर निर्भरता, घटता बड़ता आकार! पर चाँद दुलारा हैं कवियों का शायरों का? और मै, क्या बताऊं खुद से भी मोहब्बत नहीं कर पाता। ©Kamlesh Kandpal "

चाँद और मुझमे नजर आती हैं कई समानतायें ¡ समय की बेपरवाही दूसरों पर निर्भरता, घटता बड़ता आकार! पर चाँद दुलारा हैं कवियों का शायरों का? और मै, क्या बताऊं खुद से भी मोहब्बत नहीं कर पाता। ©Kamlesh Kandpal

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