ढूँढती हैं निग़ाहें बस उसी 'चेहरे' को, याद में जिस | हिंदी Shayari

"ढूँढती हैं निग़ाहें बस उसी 'चेहरे' को, याद में जिसकी सुबह हो जाती है..!! ©simran Swarna"

 ढूँढती हैं निग़ाहें बस उसी 'चेहरे' को,
याद में जिसकी सुबह हो जाती है..!!

©simran Swarna

ढूँढती हैं निग़ाहें बस उसी 'चेहरे' को, याद में जिसकी सुबह हो जाती है..!! ©simran Swarna

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