मुझे मेरे लफ़्ज़ों का हक चाहिए मुझे उस शाम का नहीं | हिंदी Shayari

"मुझे मेरे लफ़्ज़ों का हक चाहिए मुझे उस शाम का नहीं उस रात का हिसाब चाहिए तेरे मेरे दरमियां जितने भी लम्हे थे मुझे हर लम्हे का अक्स चाहिए यह कैसा धंधा है आबशर मुखौटहो का लोगों को मुनाफे के साथ-साथ हिस्सेदारी भी चाहिए आबशार_की_सरगम शशांक ©Abshar"

 मुझे मेरे लफ़्ज़ों का हक चाहिए
मुझे उस शाम का नहीं
 उस रात का हिसाब चाहिए
तेरे मेरे दरमियां जितने भी लम्हे थे
मुझे हर लम्हे का अक्स चाहिए
यह कैसा धंधा है आबशर
मुखौटहो का
लोगों को मुनाफे के साथ-साथ
हिस्सेदारी भी चाहिए

आबशार_की_सरगम
शशांक

©Abshar

मुझे मेरे लफ़्ज़ों का हक चाहिए मुझे उस शाम का नहीं उस रात का हिसाब चाहिए तेरे मेरे दरमियां जितने भी लम्हे थे मुझे हर लम्हे का अक्स चाहिए यह कैसा धंधा है आबशर मुखौटहो का लोगों को मुनाफे के साथ-साथ हिस्सेदारी भी चाहिए आबशार_की_सरगम शशांक ©Abshar

#abshar_ki_sargam


#mask

People who shared love close

More like this

Trending Topic