मधुसूदन, श्याम मनमोहन
तेरा रहना हो अंतर्मन..
तुम ही तो भाग्य विधाता हो,
तुम्हीं सब मन के ज्ञाता हो..
तुम बिन हम अधूरे हैं,
तुमसे ही सब जन पूरे हैं..
तुम्हारे दरस की अभिलाषा,
बंधी मन में यहीं आशा..
आओगे तुम ऐ मनमोहन,
बनके प्रेम का सावन..
तुम्हीं से जिनगानी हैं,
तुम्हीं से प्रेम कहानी हैं..
तुम्हीं विश्वास हमारे हो,
तुम्हीं हर आस में प्यारे हो..
तुम्हीं हो हर दिल की धड़कन,
तुम्हीं हो प्रेम का जीवन..
मधुसूदन, श्याम मनमोहन
तेरा रहना हो अंतर्मन.......
©Divyanshi Triguna "Radhika"
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