Unsplash मेरा रैन बसेरा
ये पत्तों की सरसराहट
ये नदी का संगीत
ये इन पहाड़ की चोटियों का
नृत्य
ये इनकी चहुं ओर फैली माला
उस पर ये सूरज के नैन
और वे देवदार के वृक्ष
उस पर चंद्र की शीतल छाया
और वहीं है, वहीं है
मेरा रैन बसेरा
अगर ढूंढना हो कभी मुझे
तो मिल जाऊंगा मैं
इन्ही के बीच में कहीं
©Jyoti Prakash
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