जिन्दगी कभी-कभी सड़क सी लगती है। न जाने किस मोड़ पर मखमली घास सी खुशियाँ बाहें फैलाए खड़ी हैं । और न जाने किस मोड़ पर उबड़ खाबड़ रास्ते जिन्दगी को परेशानियों में धकेलने को तैयार हो जाएँ।
"मंजिल है बेगानी रास्ते हैं टेढ़े राह में साथी
मिल रहे, बिछड़ रहे कभी खुशियाँ
कभी मातम
फिर भी दुनिया
अंधों सी भागे
होकर बेसुध
©अनुभव पंडित जी
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