Unsplash पल्लव की डायरी
जड़ो से काटकर शिक्षा
कैसा ज्ञानी बना रही है
उधेड़ रही परिवार समाज की बुनियाद
आज रिश्तों की बाँट लगा रही है
बढ़ रहे है चरित्रों में दोष
वासनाओ में युवा डूबकी लगा रहे है
लज्जा हया शर्म सब ताक पर है
उच्च शिक्षा पाकर भी
निखार उनके जीवन मे नही आ रहा है
डिग्रियों के नाम पर
भारत का स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
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