इश्क करने वाले इश्क की तदरीस तुम मुझसे लो
इश्क जंग है या जीत है? राग है या प्रीत है?
या मयखाने में बजता संगीत है?
विरह की आग है या फिर जंग की ललकार है?
कवियों की टोली है या फिर काफिया सी बोली है?
विरह की आग में उजड़ जाती है उसकी यादों की बस्तियां
खुद ही संभालनी पड़ती है उसकी यादों की सिसकियां
इस बात की तस्दीक तुम मुझसे लो,
इश्क निभाने का वायदा करने वाले इश्क की तदरीस तुम मुझसे लो
तदरीस - शिक्षा लेना
तस्दीक - प्रमाणों के द्वारा पुष्टि
काफिया - गजल के लिए आवश्यक शब्द
©Sagar Aryan
#GoldenHour गम भरी शायरी