" अधूरी राह " part 1
जीवन की राह में अब थक गया हूँ
सांसों का बोझ सा लग गया हूँ।
मंज़िल थी दूर अब खो गई
खुशियों की छाया भी अब सो गई।
सोचा था एक दिन रौशनी मिलेगी
अंधेरों से नयी कोई किरण निकलेगी।
पर छाया बस दुख और उदासी का जाल
हर खुशी अब लगती है एक सवाल।
क्या मेरा मर जाना तुम्हें सुकून देगा?
क्या मेरा दर्द कोई और समझेगा?
©Manthan's_kalam
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