White एक किस्म की बीमारी हैं। की नौकरी केवल सरकारी | हिंदी शायरी

"White एक किस्म की बीमारी हैं। की नौकरी केवल सरकारी हैं। फिर खुद को तबाह कर,, कहते है बेरोज़गारी हैं। किसी का नपा हैं घर इसमें, किसी की नपी जमीन सारी हैं। खोज उनकी ख़त्म न होगी , माथा पीटते घूम रहे है, जिन्होने भूगोल इतिहास पढ़ी सारी हैं। उसके बावजूद उनके पेपरों का , अभी सिलसिला जारी है। मैथ और रीजनिंग में फंस गया, बोला जो चली गई, वो नौकरी हमारी है। मैं बहुत आगे आ चुका हूं, सरकारी वालों का अभी सफर जारी है। मेरा लक्ष्य यही एक मानव दूजा नारी है। ©Shukla brother"

 White एक किस्म की बीमारी हैं।
की नौकरी केवल सरकारी हैं।
फिर खुद को तबाह कर,, 
कहते है बेरोज़गारी हैं।
किसी का नपा हैं घर इसमें,
 किसी की नपी जमीन सारी हैं।
खोज उनकी ख़त्म न होगी , 
माथा पीटते घूम रहे है, 
जिन्होने भूगोल इतिहास पढ़ी सारी हैं।
उसके बावजूद  उनके पेपरों का ,
अभी सिलसिला जारी है।
मैथ और रीजनिंग में फंस गया,
 बोला जो चली गई, वो नौकरी हमारी है।
मैं बहुत आगे आ चुका हूं, 
सरकारी वालों का अभी सफर जारी है।
मेरा लक्ष्य यही एक मानव दूजा नारी है।

©Shukla brother

White एक किस्म की बीमारी हैं। की नौकरी केवल सरकारी हैं। फिर खुद को तबाह कर,, कहते है बेरोज़गारी हैं। किसी का नपा हैं घर इसमें, किसी की नपी जमीन सारी हैं। खोज उनकी ख़त्म न होगी , माथा पीटते घूम रहे है, जिन्होने भूगोल इतिहास पढ़ी सारी हैं। उसके बावजूद उनके पेपरों का , अभी सिलसिला जारी है। मैथ और रीजनिंग में फंस गया, बोला जो चली गई, वो नौकरी हमारी है। मैं बहुत आगे आ चुका हूं, सरकारी वालों का अभी सफर जारी है। मेरा लक्ष्य यही एक मानव दूजा नारी है। ©Shukla brother

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