ख़ुशियाॅं आरज़ी होती हैं,बस कुछ देर के लिए ठहरती हैं
और इंसान को असल ज़रूरत सुकून की होती है।
लेकिन इंसान सुकून हासिल करने के लिए नहीं बल्कि
सिर्फ़ ख़ुशियाॅं हासिल करने के लिए भाग दौड़ करता रहता है,
क्यूॅंकि इक दुनियादार इंसान की नज़र में
ख़ुशी का मतलब ही सुकून होता है फ़िर वो ख़ुशी
चाहे बस कुछ देर के लिए ही क्यूॅं न हो।
वो बस हर वक़्त ख़ुद को ख़ुश रखने के
नए-नए तरीक़े तलाशता रहता है।
वो ये बात ही नहीं समझता कि ....
ख़ुशियाॅं हासिल कर के ख़ुश रहने में और
सुकून हासिल कर के ख़ुश रहने में,
ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ होता है ।
©Sh@kila Niy@z
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