दूर हैं दोनो, एक चांद निहारते। सिकवे सिकायतें, ढेर | हिंदी Poetry

"दूर हैं दोनो, एक चांद निहारते। सिकवे सिकायतें, ढेरों बातें। आज की फिक्र नहीं, कल का पता नहीं, सपनों के सेज फिर भी सजाते। जाने कौन सा रिश्ता निभाते, बितती हैं इनकी दिन और रातें। ✍🏻 लक्ष्मी कौशल ©Lakshmi Kaushal"

 दूर हैं दोनो,
एक चांद निहारते।
सिकवे सिकायतें,
ढेरों बातें।
आज की फिक्र नहीं,
कल का पता नहीं,
सपनों के सेज फिर भी सजाते।
जाने कौन सा रिश्ता निभाते,
बितती हैं इनकी दिन और रातें।

               ✍🏻 लक्ष्मी कौशल

©Lakshmi Kaushal

दूर हैं दोनो, एक चांद निहारते। सिकवे सिकायतें, ढेरों बातें। आज की फिक्र नहीं, कल का पता नहीं, सपनों के सेज फिर भी सजाते। जाने कौन सा रिश्ता निभाते, बितती हैं इनकी दिन और रातें। ✍🏻 लक्ष्मी कौशल ©Lakshmi Kaushal

#SuperBloodMoon #दूरी

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