White भेड़े दुबक रहीं है और कोई कुत्ता भोंक भी न | हिंदी Poetry

"White भेड़े दुबक रहीं है और कोई कुत्ता भोंक भी नहीं रहा है इस बसती का हर बंदा अपनी रज़ाई मे घोड़े बेच कर खर्राटो. वाली नींद सो रहा है ©Parasram Arora"

 White 
भेड़े
दुबक रहीं है 
और कोई कुत्ता 
भोंक भी नहीं रहा  है 

इस बसती का हर बंदा  
अपनी रज़ाई मे 
घोड़े बेच कर खर्राटो.
वाली नींद  
सो रहा है

©Parasram Arora

White भेड़े दुबक रहीं है और कोई कुत्ता भोंक भी नहीं रहा है इस बसती का हर बंदा अपनी रज़ाई मे घोड़े बेच कर खर्राटो. वाली नींद सो रहा है ©Parasram Arora

गुलाबी ठण्ड

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