Men walking on dark street और किसी को देगा क्या फिर वो जवाब आदमी,
अपनी ही नजरो में हो जाए जब खराब आदमी,
खुद ख़ासारे में चला गया दूसरों का मुनाफा देखते हुए,
कहां से देगा कितना देगा अब तुम्हें वो हिसाब आदमी ,
मुक्कमल करता चला गया हर ख्वाईश औरत की,
भुलाता चला जाता है अपना हर एक ख़ाब आदमी,
यही सोच कर रोजगार पे रोजगार बदलता गया,
अच्छे नहीं लगते मजदूरी करते हुए सहाब आदमी,
तकलीफ में भी कितना मजा है ये उस शख्स पूछो,
जो लगातार पढ़ रहा हो 'जॉन' की किताब आदमी,
©AB चौहान
#Emotional