आज खुश हूं कि मैं तन्हा रहता अकेला किसी का बोझ नहीं मुझ पर
ना तो भावनाएं हैं ना कोई गम अकेला हूं खुश हूं जिंदगी में
एक पल आएगा जब सब साथ छोड़ जाएंगे यह खून का रिश्ता भी टूट के वह तन्हा टूट जाता है क्योंकि जब समय का कुदरत दस्तूर खेलता है यह जिंदगी है यहां सब खत्म हो जाता है
शरीर और आत्मा भी एक नहीं है यह तो तन्हाइयां और परछाइयां जैसी
सांस और मृत्यु
का खेल है अकेला हूं और अकेला रहूंगा यही जिंदगी का अरमान है
single life unmarried life
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