White टूटने दे इस अँधेरे में, यहीं तक सफ़र मेरा है
बे-गाना हूँ इस बस्ती में, कहाँ शहर मेरा है
सुकूँ-ए-दिल ख़त्म कर, बैठ जाऊँ यहाँ
तन्हा यह और मैं भी, तो यह शज़र मेरा है
उस दर्द की बाब, ग़र था मैं ही मैं तो
गुनाहगार उसका और शीश्शा-ए-ज़हर मेरा है
©Vishal Pandhare
#GoodNight 'दर्द भरी शायरी'