तेरे प्यार की जो कभी शमा जलती थी मेरे अंदर, वही श | हिंदी शायरी

"तेरे प्यार की जो कभी शमा जलती थी मेरे अंदर, वही शमा राख हो गई है, और अब जल रहे हैं हम। वो तुझसे मिलकर जो रास्ते थे रोशन, अब उसी अंधेरे में खुद को खोते हैं हम। खुदा से अब क्या मांगें नवनीत, ये लम्हे कहाँ जाएं, जो कभी थे मोहब्बत, अब वही तमाशा बने हैं हम। ©नवनीत ठाकुर"

 तेरे प्यार की जो कभी शमा जलती थी मेरे अंदर,
 वही शमा राख हो गई है, और अब जल रहे हैं हम।

वो तुझसे मिलकर जो रास्ते थे रोशन,
अब उसी अंधेरे में खुद को खोते हैं हम।

खुदा से अब क्या मांगें नवनीत, ये लम्हे कहाँ जाएं,
जो कभी थे मोहब्बत, अब वही तमाशा बने हैं हम।

©नवनीत ठाकुर

तेरे प्यार की जो कभी शमा जलती थी मेरे अंदर, वही शमा राख हो गई है, और अब जल रहे हैं हम। वो तुझसे मिलकर जो रास्ते थे रोशन, अब उसी अंधेरे में खुद को खोते हैं हम। खुदा से अब क्या मांगें नवनीत, ये लम्हे कहाँ जाएं, जो कभी थे मोहब्बत, अब वही तमाशा बने हैं हम। ©नवनीत ठाकुर

#खुदा से अब क्या मांगें नवनीत, ये लम्हे कहाँ जाएं,
जो कभी थे मोहब्बत, अब वही तमाशा बने हैं हम।

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