White में खामोश हूं।
ओर मेरी खामोशी को मेरी हार समझ लिया
जिंदा हूं जब तक हार ना मानूंगा,
चल तेरे लिए भी गलत सही में,
पर इक दिन
जब समझ आऊंगा
पत्थर में भी जान डालूंगा।
बोल पड़ेंगे वो सूखे दरख़्त भी,
जब में अपनी बेगुनाही का हिसाब मांगूंगा
©Karan Kumar
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