White - बुंदेली में कुण्डलिया- ------------------ | हिंदी कविता

"White - बुंदेली में कुण्डलिया- ------------------------------------------- सोकें उठ गय देव अब, होन लगे हैं ब्याव। करो बरातें ठाट सै, खूब पंगतें खाव।। खूब पंगतें खाव, लुचइँ रबड़ी रसगुल्ला। ढोल नगाड़े बैंड, और बजनें रमतुल्ला।। क्वाँरिन के अब ब्याव, सबइ के रेंहैं होकें। चौमासिन के बाद, देव उठ गय हैं सोकें।। - हरिओम श्रीवास्तव - भोपाल, म.प्र. ©Hariom Shrivastava"

 White  - बुंदेली में कुण्डलिया-
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सोकें उठ गय देव अब, होन लगे हैं ब्याव।
करो बरातें ठाट सै, खूब पंगतें खाव।।
खूब पंगतें खाव, लुचइँ रबड़ी रसगुल्ला।
ढोल नगाड़े बैंड, और बजनें रमतुल्ला।।
क्वाँरिन के अब ब्याव, सबइ के रेंहैं होकें।
चौमासिन के बाद, देव उठ गय हैं सोकें।।
- हरिओम श्रीवास्तव -
भोपाल, म.प्र.

©Hariom Shrivastava

White - बुंदेली में कुण्डलिया- ------------------------------------------- सोकें उठ गय देव अब, होन लगे हैं ब्याव। करो बरातें ठाट सै, खूब पंगतें खाव।। खूब पंगतें खाव, लुचइँ रबड़ी रसगुल्ला। ढोल नगाड़े बैंड, और बजनें रमतुल्ला।। क्वाँरिन के अब ब्याव, सबइ के रेंहैं होकें। चौमासिन के बाद, देव उठ गय हैं सोकें।। - हरिओम श्रीवास्तव - भोपाल, म.प्र. ©Hariom Shrivastava

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