ओ मन मेरे तनिक धीर धर।
न हो व्याकुल न तू हो बेसबर।
लक्ष्य पर ही दृष्टि ध्यान तू रख।
वहीं पर हो तेरी अगली सहर।
ओ मन .......
भले ही हो दुर्गम हो सूनी डगर।
ढूंढ़ लेगी मंजिल को तेरी नज़र।
न हार स्वयं से मत टेक घुटनें।
विपदा पर टूट तू बन के कहर।
ओ मन.......
सुधा भारद्वाज "निराकृति"
विकासनगर उत्तराखंड
#धीर(Dheer)