मोह और माया
बेनाम-सी है काया
सुर में अलग
प्रेम में अलग
तन और मन
में अलग,
बेजोड़ है
इनका साया
नाम है-
मोह और माया,
रंगीन फिज़ा मेहफ़िल
में जाम है इनका साथी
थमते ही नहीं इनके प्रेम-जाल
जैसे हों दिया और बाती,
जज्बाती-सी कशिश है
इनकी खामोशी में
डूब जाते हैं ये
जब रूबरू होते हैं,
मदहोश रूह भी
गुम है इनकी सादगी में,
तन्हा आलम है जब
दो दिल मिलते हैं
मोह और माया में।।
©Akanksha Dixit
#delusion #writing #love
#nojota