White रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए, अजीब | हिंदी Shayari

"White रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए ©Pagal Sba"

 White रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए,
अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए

©Pagal Sba

White रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुए ©Pagal Sba

रोज रोज #nojoto

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