गूंज अंतर्मन की, मौन में जो सुनाई दे,
भावनाओं की लहरें, सागर-सी गहराई दे।
हर शब्द अनकहा, हर विचार अनमोल,
मन का ये संसार, जग से बिल्कुल अनजान।
अंधेरे में रौशनी, सन्नाटे में गीत,
अंतर्मन की गूंज, हर दर्द का मीत।
यह न कोई शोर है, न कोई आहट,
बस आत्मा की पुकार, सच की राहट।
हर प्रश्न का उत्तर, खुद के भीतर छिपा,
गूंज अंतर्मन की, जीवन का है दर्पण बना।
इस गूंज में खोजो, खुद को नए सिरे से,
यही सत्य है, यही रास्ता तुम्हारे जीने के।
©Balwant Mehta
#Thoughts