बूंद बूंद कर अमृत झरना
सागर को यूं भारत जाए
तन मन और काया से
कर्मो की निर्जरा किराए
रसनेंद्र पर विजय करे जो
तप की आत्म ज्योति जगाए
क्रोध मन परिहार करे जो
कुंदन सा चमक जाए
कठिन काम है तपस्या का
हर कोई यह न कर पाए
कर पाए विजय काया पर जो
मन भी तो निर्मल बन जाए
चित को नियंत्रण में लाए जो
भावो में परिवर्तन पाए
सुगम कार्य तो सब करते है
कठिन विरला ही कोई कर पाए
आपने सयम की तूलिका से
तप के यह रंग सजाए
देखो आज अनुमोदना करने
जग यहां सारा है आए
©sakshayer
तपस्या
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