पागल हूं क्योंकि प्यार पाया है मैंने
तुम सयाने तो बहुत कुछ खो बैठे ।
शौला हूं क्योंकि शौर्य पाया है मैंने
तुम शीतल बर्फ बेवजह पिघल बैठे ।
गंवार हूं क्योंकि शहर गंवाया है मैंने
तुम तो गांव को छोड़ शहर जा बैठे ।
रुग्ण हूं क्योंकि वो रोग पाया है मैंने
जिसे सब लोग अपराध कह बैठे ।
जिद्दी हूं क्योंकि जिस्म पाया है मैंने
तुम सहज शील खुद को ही खो बैठे ।
©Ajay Tanwar Mehrana
poetry in hindi
पागल हूं मैं