छठ पूजा देखो छठ पूजा का दिन हैं आया। स्वच्छता का | हिंदी कविता

"छठ पूजा देखो छठ पूजा का दिन हैं आया। स्वच्छता का तन मन इठलाया। सजने लगे सब नदी व तालाब। दीपों से जगमगाया हरेक घाट। व्रती रहकर निर्जला और निराहार। करते भोजन व सुख-शैया का त्याग। देकर उषा और प्रत्यूषा को अर्घ्य। करते छठी मईया को प्रसन्न। चावल, गुड़ व गेंहू का बना प्रसाद। भरता सबके जीवन में मिठास। सूर्य आराधना का ये पर्व महत्वपूर्ण, हैं ये भक्ति और आध्यात्म से भरपूर। ©शिखा शर्मा"

 छठ पूजा

देखो छठ पूजा का दिन हैं आया।
स्वच्छता का तन मन इठलाया।
सजने लगे सब नदी व तालाब।
दीपों से जगमगाया हरेक घाट।

व्रती रहकर निर्जला और निराहार।
करते भोजन व सुख-शैया का त्याग।
देकर उषा और प्रत्यूषा को अर्घ्य।
करते छठी मईया को प्रसन्न।

चावल, गुड़ व गेंहू का बना प्रसाद।
भरता सबके जीवन में मिठास।
सूर्य आराधना का ये पर्व महत्वपूर्ण,
हैं ये भक्ति और आध्यात्म से भरपूर।

©शिखा शर्मा

छठ पूजा देखो छठ पूजा का दिन हैं आया। स्वच्छता का तन मन इठलाया। सजने लगे सब नदी व तालाब। दीपों से जगमगाया हरेक घाट। व्रती रहकर निर्जला और निराहार। करते भोजन व सुख-शैया का त्याग। देकर उषा और प्रत्यूषा को अर्घ्य। करते छठी मईया को प्रसन्न। चावल, गुड़ व गेंहू का बना प्रसाद। भरता सबके जीवन में मिठास। सूर्य आराधना का ये पर्व महत्वपूर्ण, हैं ये भक्ति और आध्यात्म से भरपूर। ©शिखा शर्मा

छठ पूजा

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