जिंदगी
मैं अपनी ही जिंदगी में
मैं अपने हाथों से खुद आग लगा बैठा हूँ
फिर क्यों आज रोता हूँ,बिलखता हूँ
फिर क्यों दुनियाँ के सामने मैं नादान बनता हूँ
छोड़ कर दूर वापस भाग आया हूँ मैं
फिर आज इस संसार में ढूंँढता हूँ इधर-उधर क्यों
कोई विकल्प नहीं है दूसरा कोई
जान कर भी अपनी जिंदगी में आग लगा बैठा हूँ
©DR. LAVKESH GANDHI
#Mankadahan #
#नासमझ हूँ मैं #