“दीपावली की शुभकामनाओं सहित- “कुछ दोहे” 1- जब लौटे |

"“दीपावली की शुभकामनाओं सहित- “कुछ दोहे” 1- जब लौटे वनवास से, लखन सहित सियराम। तब जगमग रौशन हुआ, नगर अयोध्या धाम।। 2- अवधपुरी में जल उठे, घर-घर घृत के दीप। रघुनंदन श्रीराम जब, पहुँचे नगर समीप।। 3- जब आती दीपावली, लाती नयी उमंग। भरें तीज त्यौहार ही, जीवन में नवरंग।। 4- महँगाई की पड़ रही, जनता पर है मार। फिर भी हर शोरूम पर, बिके दुपहिए कार।। 5- पर्व दिवाली पर बनें, भिन्न-भिन्न पकवान। गुझिया और मिठाइयाँ, त्यौहारों की ज़ान।। 6- दीपोत्सव करता सदा, अंधकार का नाश। धरती से आकाश तक, होता दिव्य प्रकाश।। 7- लोकमात्रिका लक्ष्मी, सबकों दें वरदान। हर घर में हो रौशनी, सुखी रहे इंसान।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava"

 “दीपावली की शुभकामनाओं सहित- “कुछ दोहे”
1-
जब लौटे वनवास से, लखन सहित सियराम।
तब जगमग रौशन हुआ, नगर अयोध्या धाम।।
2-
अवधपुरी में जल उठे, घर-घर घृत के दीप।
रघुनंदन श्रीराम जब, पहुँचे नगर समीप।।
3-
जब आती दीपावली, लाती नयी उमंग।
भरें तीज त्यौहार ही, जीवन में नवरंग।।
4-
महँगाई की पड़ रही, जनता पर है मार।
फिर भी हर शोरूम पर, बिके दुपहिए कार।।
5-
पर्व दिवाली पर बनें, भिन्न-भिन्न पकवान।
गुझिया और मिठाइयाँ, त्यौहारों की ज़ान।।
6-
दीपोत्सव करता सदा, अंधकार का नाश।
धरती से आकाश तक, होता दिव्य प्रकाश।।
7-
लोकमात्रिका लक्ष्मी, सबकों दें वरदान।
हर घर में हो रौशनी, सुखी रहे इंसान।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

“दीपावली की शुभकामनाओं सहित- “कुछ दोहे” 1- जब लौटे वनवास से, लखन सहित सियराम। तब जगमग रौशन हुआ, नगर अयोध्या धाम।। 2- अवधपुरी में जल उठे, घर-घर घृत के दीप। रघुनंदन श्रीराम जब, पहुँचे नगर समीप।। 3- जब आती दीपावली, लाती नयी उमंग। भरें तीज त्यौहार ही, जीवन में नवरंग।। 4- महँगाई की पड़ रही, जनता पर है मार। फिर भी हर शोरूम पर, बिके दुपहिए कार।। 5- पर्व दिवाली पर बनें, भिन्न-भिन्न पकवान। गुझिया और मिठाइयाँ, त्यौहारों की ज़ान।। 6- दीपोत्सव करता सदा, अंधकार का नाश। धरती से आकाश तक, होता दिव्य प्रकाश।। 7- लोकमात्रिका लक्ष्मी, सबकों दें वरदान। हर घर में हो रौशनी, सुखी रहे इंसान।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#Diwali

People who shared love close

More like this

Trending Topic