दिमाग़ अर्श पे है ख़ुद ज़मीं पे चलते हैं सफ़र गुमा | हिंदी Shayari

"दिमाग़ अर्श पे है ख़ुद ज़मीं पे चलते हैं सफ़र गुमान का है और यक़ीं पे चलते हैं जहाँ तुम्हारा है तुम को किसी का डर क्या है तमाम तीर जहाँ के हमीं पे चलते हैं ©Raaj _The Secret"

 दिमाग़ अर्श पे है ख़ुद ज़मीं पे चलते हैं
सफ़र गुमान का है और यक़ीं पे चलते हैं
जहाँ तुम्हारा है तुम को किसी का डर क्या है
तमाम तीर जहाँ के हमीं पे चलते हैं

©Raaj _The Secret

दिमाग़ अर्श पे है ख़ुद ज़मीं पे चलते हैं सफ़र गुमान का है और यक़ीं पे चलते हैं जहाँ तुम्हारा है तुम को किसी का डर क्या है तमाम तीर जहाँ के हमीं पे चलते हैं ©Raaj _The Secret

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