हम पंख फड़फड़ाते ही रह जाते उड़ने की कला जो ना तुम सि | हिंदी कविता
"हम पंख फड़फड़ाते ही रह जाते
उड़ने की कला जो ना तुम सिखाते
हम चाह के भी ना उड़ पाते
संघर्ष जो ना तुम बताते
हम आज आसमानों मे हैं जो
तुम्हारे ही आभारी हैं
जो साथ दिया था पग पग कल
आज ऊंची उड़ान हमारी है 🙏🙏"
हम पंख फड़फड़ाते ही रह जाते
उड़ने की कला जो ना तुम सिखाते
हम चाह के भी ना उड़ पाते
संघर्ष जो ना तुम बताते
हम आज आसमानों मे हैं जो
तुम्हारे ही आभारी हैं
जो साथ दिया था पग पग कल
आज ऊंची उड़ान हमारी है 🙏🙏